को नहीं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तुम्हारो
हनुमान जी के अनेक मंदिर है और हर मंदिर का अपना महत्व है प्रत्येक मंदिर के बारे में तो लिखना आसान नहीं है इसलिए आइए जानते है 10 famous Hanuman Mandir के बारे मे।
हनुमान जी को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं। इस कलयुग में शायद ही ऐसा कोई होगा जिसे बजरंग बलि का नाम न पता हो। हनुमान जी तो चिरंजीवी है इसलिए हनुमान जी को कलयुग के भगवान भी कहा जाता है। कहा जाता है आज भी जहां राम जी का भजन और सिमरन होता है वहा हनुमान जी किसी न किसी रूप में जरूर विराजमान होते है. हनुमान जी तो भक्ति का वो सागर है जिसका कोई अंत नहीं। इस संसार में ऐसा कोई काम नहीं जो हनुमान जी के लिए सम्भव न हो और यह बात राम चरित मानस की एक चौपाई से सिद्ध भी होती है जो कि इस प्रकार है।
कवन सो काज कठिन जग माही जो नहीं होत तात तुम पाहि
अगर आप भी हनुमान जी के दर्शन के इच्छुक है तो आप सही जगह है आइए जानते है
10 Famous Hanuman Mandir Kuon se Hai.
1) Delhi के Connaught Place में स्थित “श्री Hanuman मंदिर “
दिल्ली के दिल में स्थित प्रसिद्ध हनुमान मंदिर। कहा जाता है दिल्ली को पहले इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था। जिसे यमुना नदी के तट पर पांडवों द्वारा बसाया गया था. हिन्दू मान्यता के अनुसार पांडवों में से भीम को हनुमान जी का भाई माना गया है। क्योंकि दोनों को वायु पुत्र कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि पांडवों ने इंद्रप्रस्थ में पांच मंदिर बनवाए थे जिसमें से दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्थित ये एक प्रसिद्ध प्राचीन हनुमान मंदिर है।
इस मंदिर का विशेष आकर्षण यहाँ पर निरंतर चलने वाला राम नाम का जाप है जो कि 24 घंटे बिना किसी रूकावट के चलता है। बताया जाता है की ये विश्व का सबसे लम्बा जाप है जिसकी धुन इस प्रकार है “श्री राम जय राम जय जय राम “ जो की गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी अपनी जगह बना चुका है।
ऐसी मान्यता है की भक्ति काल के प्रसिद्ध संत स्वामी तुलसीदास जी यहाँ के हनुमान मंदिर से इतने प्रभावित हुए की उन्होंने ने यही बैठकर हनुमान चालीसा की रचना की।
2) Salasar Balaji ( सालासर बालाजी ) in Rajasthan
सालासर बालाजी हनुमान जी का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहा हनुमान जी दाढ़ी और मूछों में स्थापित है। हनुमान जी के दाढ़ी और मूछों वाली प्रतिमा की कहानी कुछ एक प्रकार है बताया जाता है की हनुमान जी ने अपने भक्त मोहनदास को पहली बार दाढ़ी और मूछों वाले रूप में ही दर्शन दिए थे तब मोहनदास ने हनुमान जी को इसी रूप में दर्शन देने की बात कही थी।
सालासर बालाजी के हनुमान जी की मूर्ति प्रकट होने की और स्थापित होने की कहानी भी अत्यंत चमत्कारी है. बात 1754 की है जब नागपुर जिले में स्थित असोटा गांव का एक जाट किसान अपना खेत जोत रहा था तब उसका हल एक पथरीली चीज से टकराया उसने मिट्टी खोद के उस पत्थर को बहार निकला और अपने अँगोछे से उसको साफ़ किया और देखा उस पर हनुमान जी की छवि बानी है । उसी समय जाट की पत्नी भोजन लेकर वह आई और उसने भी उस मूर्ति को अपनी साडी से साफ़ किया दोनों ने हनुमान जी की मूर्ति को हाथ जोड़कर प्रणाम किया। तब किसान में हनुमान जी की मूर्ति को बाजरे के चूरमे का पहला भोग लगाया।
हनुमान जी की मूर्ति प्रकट होने की बात पुरे गांव में फेल गई। एक दिन हनुमान जी ने असोटा के ठाकुर के सपने में दर्शन दे के मूर्ति को सालासर पहुचाने की बात कही और दूसरी तरफ सालासर के महाराज मोहन दास जो की हनुमान भक्त थे उन्हें भी सपने में दर्शन दे के कहा की जिस बैलगाड़ी में मूर्ति सालासर जाए उसे कोई नहीं रोके। जहा बैलगाड़ी खुद रुक जाए मूर्ति वही स्थापित कर दी जाए। सालासर बालाजी मंदिर को बनाने वाले कारीगर मुसलमान थे जिनका नाम नूरा और दाऊ था।
3) Mehandipur Balaji ( मेहंदीपुर बालाजी ) Mandir, Rajasthan
मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है। मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है। मान्यता है की हनुमान जी यह मूर्ति अरावली पहाड़िओं के बिच स्वयं बानी हुए है इसे किसी भी कारीगर द्वारा नहीं बनाया गया है।
Balaji भगवन श्री हनुमान जी के बचपन का नाम है। इस मंदिर में स्थित श्री हनुमान जी की मूर्ति की छाती के बाईं तरफ एक छोटा सा छेद है जिसमे से निरंतर जल की एक पतली धारा बहती रहती है.
इस जल को इकट्ठा करके बालाजी के चरणों में रख दिया जाता है और भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
इस मंदिर में चार प्रांगण है। पहले दो में भैरो बाबा और बालाजी महाराज की मूर्ति है और तीसरे , चौथे प्रागन में प्रेत राज की इन्हे दुस्ट आत्माओ का सरदार कहा जाता है। दुस्ट आत्माओ से बचने के लिए भक्त यहाँ सवामणी का प्रसाद चढ़ते है। हनुमान जी का यहाँ मंदिर ऊपरी /प्रेत बाधा वाले लोगो को प्रेतों से हमेशा के लिए मुक्ति दिलाने वाला मंदिर है.
यहाँ आने वालो भक्तो को मास मदिरा लहसुन प्याज का सेवन एक हफ्ते के लिए छोड़ना पड़ता है ये यहाँ का नियम है।
4) kashtabhanjan (श्री कष्टभंजन) Hanuman Mandir ,Sarangpur ,Gujarat
भूत पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे ||
ये तो सभी जानते है की हनुमान जी के सामने कोई भूत पिशाच नहीं टिक सकता। गुजरात के सारंगपुर में स्थित हनुमान जी का ये मंदिर इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण है. अहमदाबाद -भावनगर के पास स्थित बोटाद जंक्शन से सारंगपुर 12 मील दूर है। कष्टभंजन हनुमान मंदिर में मूर्ति की स्थापना महा योगीराज गोपालानंद स्वामी जी द्वारा की गई थी. कहा जाता है की प्रतिष्ठा के समय मूर्ति में हनुमान जी का आवेश हुआ जिससे मूर्ति हिलने लगी.
शनि देव के नारी रूप का रहस्या यहाँ है की एक बार शनि देव का प्रकोप बहुत बढ़ गया। मानव क्या देवता भी उनके प्रकोप से हा हा कार करने लगे। तब देवताओं ने शनि प्रकोप से बचने के लिए हनुमान जी से प्रार्थना की। हनुमान जी ने सभी की प्राथना स्वीकार की और शनि देव को दण्ड देने के लिए निकल पड़े. जब इस बात का पता शनि देव को लगा तो वो बहुत डर गए और हनुमान जी से बचने के लिए उन्होंने नारी रूप धारण कर लिया और हनुमान जी से उनके चरणों में शरण मांग ली. हनुमान जी ये जान गए की नारी रूम में ये शनि देव है परन्तु फिर भी हनुमान जी ने शनि देव को माफ़ कर दिया.इस प्रकार शनि देव को हनुमान जी के चरणों में जगह मिल गई।
5) Lete Hue Hanuman ji Mandir (लेटे हुए हनुमान जी),Prayagraj ,Allahabad
पुरे भारत में हनुमान जी के अनेक मंदिर है। और हर मंदिर के साथ कोई न कोई कथा जरूर जुड़ी है।
ये मंदिर इलाहाबाद में स्थित प्रयागराज में संगम (गंगा और यमुना ) किनारे है। इलाहाबाद में इन्हे लेटे हुए हनुमान जी,बांध वाले हनुमान जी,बड़े हनुमान जी और किले वाले हनुमान जी के नाम से भी जाना जाता है।
हनुमान जी की मूर्ति के बाएं पैर के नीचे कामदा देवी और दाएं पैर के नीचे अहिरावण दबा हुआ है .दाएं हाथ पर श्री राम और लक्ष्मण और बाएं हाथ पर गदा सुशोभित है ।
कहा जाता है की श्री राम और रावण युद्ध के समय जब रावण की सारी सेना समाप्त हो चली तो रावण को अपने भाई अहिरावण की याद किया जो पाताल लोक में रहता था। अहिरावण माया रूप धारण करने में बहुत ही माहिर था उसने रावण के कहने के अनुसार विभीषण का रूप धारण किया और रामदल में जाकर श्री राम और लक्ष्मण जी का अपहरण कर उन्हें पाताल लोक ले गया। पाताल में वो श्री राम और लक्ष्मण जी की बलि देना चाहता था परन्तु हनुमान जी ने वहाँ आकर अहिरावण का वध किया और श्री राम सहित लक्ष्मण जी को वहाँ से निकाल लिया वापस आते समय उन्होंने संगम में विश्राम किया इसलिए यहाँ हनुमान जी की लेटी हुई मूर्ति है.जो भी भक्त प्रयागराज आता है वो हनुमान जी के दर्शन जरूर करता है क्योंकि हनुमान जी के दर्शन के बिना दर्शन सम्पूर्ण नहीं माना जाता है।
6) Hanuman Gadhi ( हनुमानगाढ़ी मंदिर ) ,Ahodhya
अयोध्या श्री राम जी की नगरी जहां श्री राम हो वह हनुमान जी तो होंगे ही। मान्यता है की रावण से युद्ध में जीतने के बाद सियाराम और लक्ष्मण के साथ हनुमान जी पुष्पक विमान में हनुमगढ़ी आए थे और यही रह गए।
भगवान राम जी ने हनुमान जी को वरदान दिया था जो अयोध्या में दर्शन को आएगा वो पहले हनुमान जी के दर्शन करेगा फिर श्री राम जी के तभी उनके दर्शन पूर्ण माने जाएंगे। यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है जहा पहुंचने के लिए 76 सिडिया चढ़नी होती है।
यहाँ के लोग हनुमान जी को यहां का राजा मानते है परन्तु हनुमान जी यहां राम भक्त की तरह रहते है। हनुमानगढ़ी को हनुमान जी का घर भी कहा जाता है। कहा जाता है हनुमान जी हर रोज इस मंदिर में कुछ समय के लिए बैठते है। इसीलिए हनुमान गाढ़ी में हनुमान जी के लिए प्रतिदिन एक आसान बिछाया जाता है। आज भी यहाँ छोटी दीपावली को हनुमान जी का जन्मदिन बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।
7) Hanuman Dhara ( हनुमान धारा ) ,chitrakoot
हनुमान जी का यह मंदिर विन्ध्य की पहाड़ी में स्थित है। यह मंदिर काफी ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ पानी की धारा निरंतर बहती रहती है जो हनुमान जी को स्पर्श करती है इसलिए इसे हनुमान धारा कहा जाता है। भक्त इस जल को प्रशाद के रूप में ग्रहण करते है।
कहा जाता है जब श्री राम जी ने बैकुंठ जाने का निर्णय लिया तब हनुमान जी ने उनसे प्रार्थना कर के कहा हे भगवन लंका दहन के बाद से उनके शरीर और पूँछ में जलन और असहनीए पीड़ा है। तब श्री राम जी ने अपना धनुष निकला और विन्ध्य पर्वत की और चला के एक जल धारा का निर्माण किया। जैसे जैसे यह जल हनुमान जी को स्पर्श करता गया वैसे वैसे उनका दर्द और जलन कम होती गई । मान्यता है की तब से हनुमान जी यहां साक्षात विराजमान है। भक्त यहाँ दर्शन करके अपनी चिंता और डर दूर करने के साथ साथ उनका आशीर्वाद भी पाते है। यहाँ बन्दर बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते है।
8) Dandhi ( दांडी ) Hanuman Mandir ,Dwarka
दांडी हनुमान मंदिर की सबसे बड़ी विषेशता है की ये एकमात्र ऐसा मंदिर है जहा हनुमान जी अपने बेटे मकरध्वज के साथ विराजमान है। कहा जाता है की पहले मकरध्वज की मूर्ति हनुमान जी की मूर्ति से छोटी थी परन्तु समय के साथ अब ये दोनों लगभग बराबर हो गई है।
अब सोचने की बात ये है की हनुमान जी तो बाल ब्रह्मचारी है तो उनका पुत्र कैसे हुआ। इसकी कथा कुछ इस प्रकार है लंका जलाने के बाद हनुमान जी अपनी पूंछ की आग बुझाने के लिए जब समुद्र में गए तो उनके शरीर से गिरी एक पसीने की बूँद को मछली ने निगल लिया जिससे वो गर्भवती हुई और इस प्रकार हनुमान जी के पुत्र मकरध्वज का जन्म हुआ । इस मंदिर की ये भी मान्यता है की जिस पिता और बेटे के बीच में बनती नहीं है उनके यहां दर्शन करने से उनका रिश्ता भी मधुर हो जाता है।
9) Hampi ( हंपी ) ,Karnataka
कर्नाटक के बेल्लारी जिले में तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित है छोटा सा शहर हम्पी। प्राचीन काल में इसे पंपा के नाम से जाना जाता था. मान्यता है की यह हनुमान जी की जन्म भूमि है और श्री राम और लक्ष्मण जी से वो पहली बार यही मिले थे। पौराणिक कथा के अनुसार ,जब रावण महाराष्ट्र के नासिक के पास स्थित पंचवटी से सीता माता का अपहरण कर के ले गया था तब भगवान श्री राम को नहीं पता था की सीता माता कहां गई ।
सीता माता की खोज करते करते वो किष्किंधा पहुंचे वही अंजनी पर्वत भी था जहां हनुमान जी के पिता केसरी जी का राज्य था। यहाँ राम जी की मुलाकात सुग्रीव जी से हुई। हनुमान जी सुग्रीव जी के मित्र है जब हनुमान जी को ये पता चल की दो राजकुमार उन्के छेत्र में आए है तो वह ब्राह्मण के रूप में उनसे मिलने आए। पता चलने की वह भगवान श्रीराम है उनकी ख़ुशी का ठीकाना न रहा उन्होंने भगवान राम को साष्टांग दंडवत प्रणाम कर उनकी स्तुति की।
10) Varanasi में स्थित संकट मोचन श्री Hanuman मंदिर
संकट मोचन श्री हनुमान मंदिर की स्थापना स्वामी तुलसीदास जी ने 16वीं शताब्दी की शुरुआत में की थी मान्यता है की मंदिर को उसी स्थान पर बनाया गया है जहां तुलसीदास जी को हनुमान जी के दर्शन प्राप्त हुए थे।
यह अस्सी नदी के तट पर सिथित है। ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर में हनुमान जी दर्शन करने से सारी मनोकामना पूरी होती है। यह हनुमान जी को ” बेसन के लड्ड़ू “ का भोग लगाया जाता है. मान्यता है की तुलसीदास जी ने हनुमान जी से प्रेरित होकर रामचरितमानस की रचना कशी में की थी।